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Monday, August 15, 2011

कैसे कहें हम सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा


15 अगस्त पर विशेष
लोमेश कुमार गौर
अगर हम बात करें आजादी की तो हमे 15 अगस्त 1947 को जो आजादी मिली थी, वह उन अंगे्रजों से मिली थी, जिन्होनंे हम पर करीब 100 साल तक शासन किया था, लेकिन अभी भी हमारे देश में कई लोग वास्तविक आजादी के लिए तरस रहे हैं। आज भी देश में जातिगत भेदभाव, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, आरक्षण जैसे मसलों पर चर्चा होती है, तो लगता है कि हकीकत में हम दुनिया से अच्छे नहीं है।

हमारे देश में जो भी स्थिति बन रही है, उसे देखकर हम गर्व से नहीं कह सकते कि सारे विश्व से हम अच्छे हैं। देश में आज भी अंधविश्वास के कारण कई मासूमों की बली चढ़ाई जाती है। देश की चिंता करने वाले यदि वास्तविकता में चिंता करते तो शायद देश फिर से सोने की चिड़िया कहलाने लगता। देश में धन की कमी नहीं है, लेकिन यह धन जिनके हिस्सों में जाना चाहिए उनको तो नहीं मिलता बल्कि उनके हिस्सें में आता है, जो देश को लुटने में लगे हैं। इसे देश का दुर्भाग्य कहें या हमारा कि देश में दुध महँगा और खून सस्ता है। यहाँ दुध मिलने मंे परेशानी हो सकती है, लेकिन शराब के लिए जगह-जगह दुकाने खोल दी गई हैं।
बढ़ती महँगाई से आम आदमी की कमर टूट रही है, और सरकार के नुमाईंदे इस पर जो बयान देते हैं, वह हास्यास्पद लगते हैं। ऐसे बयानों की चहुँओर निंदा होती रहती है, लेकिन नेताओं को शर्म नहीं आती। गरीबों की थाली से दाल, सब्जी गायब है, महँगाई ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।
हत्यारा आरक्षण कानून
देश में फैल रही आरक्षण की आग से सभी वर्ग असंतुष्ट हैं। आरक्षण कानून को प्रतिभा का हत्यारा कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आरक्षण के नाम पर वोटों के माध्यम से सत्ता तक पहुँचने वालों ने एक ऐसा अभियान चलाया है जो प्रतिभाओं को पिछली लाईन में खड़ा कर रहा है। सामान्य वर्ग के कई होनहार, प्रतिभा के धनी आरक्षण के कारण अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच पा रही है। आवश्यकता है, देश में जातिगत आरक्षण समाप्त कर आर्थिक आधार पर  आरक्षण की बहस की।
भेदभाव खत्म होगा
हरदा जिले के खिरकिया विकासखंड की लोधियाखेड़ी की शालाओं में वितरित होने वाले मध्याह्न भोजन में जातिगत भेदभाव का आरोप लगता है, तो हम शर्मिंदा हो जाते है कि आखिर जात-पात का भेदभाव कब खत्म होगा?  भेदभाव का यह मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले भी जिले में ऐसे कुछ उदाहरण देखने को मिले हैं।
बढ़ता भ्रष्टाचार
देश में बढ़ता भ्रष्टाचार देश को ही खोखला कर रहा है। नित नए-नए घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है। घोटाले भी लाख करोड़ के नहीं बल्कि हजारों करोड़ के हो रहे है। जिन जनप्रतिनिधियों को देश की जिम्मेदारी सौंपी है, उनमें से कई जेल में पहुँच चुके है। जनता भी मन ही मन सवाल करती है आखिर जिनके कंधों पर हम भरोसा करते है, वह उम्मीदों पर खरा क्यों नहीं उतर पा रहे है। जनता के मेहनत की गाढ़ी कमाई को मंत्री और अफसर विदेशों के बैंको में जमा कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के कई अफसरों के यहाँ लाखों रुपए बिस्तर पर मिले हैं।
आतंकवाद हावी
देश में फैलता आतंकवाद हम सभी पर भारी पड़ रहा है। संसद पर हमला करने के बाद जिस अपराधी को उच्छ न्यायालय ने फाँसी की सजा दी हो उसकी सुरक्षा पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हों। मुम्बई हमले का दोषी कसाब पर करोड़ों रुपए खर्च कर सरकार ने सिद्ध कर दिया कि जो लोग देश से घृणा करते हैं, जो देश के दुश्मन है, उनकी सुरक्षा और उनके खान पान पर भले ही कितना खर्च हो, लेकिन उसे खरोंच तक नहीं आने दी जाएगी। शायद सरकार के नुमाईंदे फिर किसी कंधार जैसी घटना का इंतजार कर रहे है, जिसके बाद आतंकवादियों को बदले में छोड़ा जा सके।

किसी कवि ने कहा है कि 
झील पर पानी बरसता है, हमारे देश में। 
खेत पानी को तरसता है, हमारे देश में।
जिंदगी का हाल खस्ता है हमारे देश में।
दूध महँगा खून सस्ता है हमारे देश में।
अब वजीरों अफसरों और पागलों को छोड़कर
और खुलकर कौन हँसता है, हमारे देश में। 

और अंत में
हमे यह समझना होगा कि जब हमारे देश में करोड़ों की संख्या में गरीब लोग रह रहे हैं। आतंकवाद पैर पसार कर हमारी सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा रहा हो। जहाँ प्रतिदिन महिलाओं की आबरू का सौदा किया जाता हो। जहाँ दुध से पहले मदिरा मिल जाती हो। जहाँ घोटाले करने वाले सत्ता की कुर्सी पर बैठे हों। ऐसे हालात में हम कैसे कहें कि सारे जहाँ से अच्छा है हिन्दोस्तां हमारा.........।


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