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Friday, August 26, 2011

60 कट्टों में भरा ‘खजाना’


जयपुर प्राइवेट ट्रैवल्स के कागरे कार्यालय से जब्त किए 1, 2 व 5 रु. के पौने चार हजार किलो सिक्के बुकिंग किसने की, पता नहीं, कानपुर से जयपुर लाकर सिक्कों को अहमदाबाद भेजा जा रहा था सिक्कों को गलाकर ब्लेड बनाने में इस्तेमाल करने की संभावना।
पुलिस ने शुक्रवार को एक प्राइवेट ट्रैवल्स के माल बुकिंग कार्यालय से पौने चार टन वजन के सिक्के जब्त किए। साठ कट्टों में भरे ये सिक्के एक रुपए, दो रुपए तथा पांच रुपए के है। अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि इनकी बुकिंग किसने करवाई थी। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सिक्के कानपुर से जयपुर लाए गए और यहां से अहमदाबाद स्थित एक फैक्ट्री में गलाने के लिए भेजे जा रहे थे, जिसको ब्लेड बनाने में इस्तेमाल करने की आशंका थी।अब पुलिस की जांच में दायरे में अहमदाबाद में ब्लेड बनाने वाली कंपनियां भी आ गई हैं। पुलिस को शक है कि नामी गिरामी कंपनियों के लिए इतनी भारी मात्रा में सिक्के भेजे जा रहे थे। एडिशनल डीसीपी करण शर्मा ने बताया कि सिक्के अजमेर पुलिया के पास स्थित कल्पना ट्रेवल्स के माध्यम से अहमदाबाद भिजवाए जा रहे थे।


सूचना पर पुलिस ने कंपनी के कागरे में पहुंच कर तलाशी ली तो साठ कट्टे मिले, पर पूछताछ में इनका कोई भी मालिक सामने नहीं आया। इस पर पुलिस ने इनको जब्त कर लिया। विशेष टीम को मिली थी सूचना इस संबंध में जिला विशेष शाखा के एएसआई राजेन्द्र कमांडो को सूचना मिली थी। जिस पर एएसपी प्रदीप रिणवा के निर्देशन में पुलिस टीम बनाकर थाना प्रभारी चंद्र पुरोहित के नेतृत्व में पुलिस ने कल्पना ट्रेवल्स के कागरे पर छापा मारा।

अवैध कारोबार, कागरे है सेफ इतनी भारी मात्रा में सिक्कों को किसी कागरे में बुक कराने पर पार्सल की किसी तरह की जांच नहीं होती। जबकि प्राइवेट बस में पकड़े जाने की पूरी आशंका रहती है। कानपुर से लाए सिक्कों को जयपुर में उतराने और यहां से पार्सल में अहमदाबाद के लिए बुक कराने में पुलिस को आशंका है कि जयपुर का कोई बड़ा दलाल भारतीय मुद्रा को अहमदाबाद भेज रहा है।

कीमत से कीमती है सिक्के गलाने का व्यापार
1960-1992 तक चलन में रहे कॉपर, निकल और एल्युमीनियम के 1 रु. तक के 97 प्रतिशत से अधिक सिक्के बाजार से गायब 3 से 5 गुना अधिक फायदा कमाने के लिए गला दिए गए हैं, ये सिक्के जयपुर में जारी हुए थे और कीमत करोड़ों में थी 1993 में स्टील के सिक्के आने के बाद पुराने सिक्के गायब कहां खो गए 90 करोड़ के सिक्के रिजर्व बैंक के पूर्व मैनेजर सत्यनारायण सिंह बताते हैं- 30 सालों में 80-90 करोड़ रुपए तक के पुराने सिक्के जयपुर के बाजार में आए, लेकिन बंद होने के बाद आरबीआई तक नहीं पहुंचे।
यानी उन्हें गलाया या संग्रह किया गया है। बहरहाल, आरबीआई को गायब हो रहे सिक्कों को बचाने के लिए प्रयास जरूर करना चाहिए। बनाते हैं ब्लेड.. निकल धातु के सिक्कों को गला कर ब्लेड बनाई जाती है। पांच रु. के एक सिक्के से उच्च क्वालिटी की पांच ब्लेड बनाई जा सकती है। इन ब्लेड की कीमत पचास रुपए से तीन सौ रुपए तक होती है।


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