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लोमेश कुमार गौर
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ताजा खबर

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खरी-खरी

समझ से परे

हरदा जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा जिला पंचायत में बैठकर कभी-कभी उस पल को कोसा जाता है, जब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इन लोगों की पीड़ा यह है कि जिला पंचायत के अधिकारी और कर्मचारी उन्हें शासन की योजनाओं की जानकारी नहीं देते है। जिला पंचायत की पंचायत को कोई नहीं समझ पा रहा है।

जिले में जनचर्चा है कि जिला पंचायत में सभी सभ्य लोग है, तो फिर क्या कारण हो सकता है? ऐसा भी नहीं कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य और सीईओ का व्यवहार ठीक नहीं है। यह बात सभी की समझ से परे है।
जिला पंचायत की कुछ महिला सदस्यों का आरोप था कि अधिकारी बैठक में अपनी-अपनी बात रखकर बैठक समाप्त कर देते हैं। इसी प्रकार अध्यक्ष का आरोप है कि जिला पंचायत के सीईओ द्वारा कहा जाता है कि वह सिर्फ बैठक की अध्यक्षता करें। उधर सीईओ मदन कुमार का कहना है कि वह कब तक सहन करें। हर बार कुछ न कुछ आरोप लगते ही रहते है।
एक बार तो जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. यामिनि मानकर, उपाध्यक्ष मुकेश पटेल सहित अन्य सदस्यों ने इस्तीफा देने की धमकी भी दी थी, लेकिन इसके बाद भी उन्हें लगा की कोई फर्क नहीं पड़ा। अंतत: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों ने निर्णय लिया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि संघर्ष करेंगे। उनका कहना था कि हारकर घर बैठना न्यायसंगत नहीं है। 


देवरानी जेठानी की लड़ाई


हरदा जिले की मिडिया में इन दिनों घी मावा की चर्चा जोरों पर हैं। खबर है कि एक संस्था में देवरानी जेठानी की लड़ाई ससुराल पक्ष (प्रबंधन) के लिए नासूर बन गई है। दरअसल जेठानी अपनी देवरानी का तलाक दिलाकर एक करीबी सहेली को देवरानी बनाना चाहती है। सहेली भी जेठानी को खुश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अब भला देवरानी को यह कैसे अच्छा लगता। तलाक को लेकर ससुराल पक्ष (प्रबंधन) के समक्ष सफाई देने के दौरान देवरानी ने जेठानी की सारी पोल पट्टी खोल दी है। उसका कहना है कि जेठानी जी ऐड़ी चोटी का जोर लगाकर सहेली को देवरानी बनाने पे तुली है। ससुराल पक्ष के सामने समस्या यह है कि वह किसका साथ दे। देवरानी जेठानी की लड़ाई में घर के मर्द की खामोशी भी चर्चा का विषय बनी है।



गाड़ी में पीली बत्ती का शौक

हरदा जिले में दो अधिकारियों को गाड़ी में पीली बत्ती लगाने का शौक लगा हुआ है। खबर है कि इन अधिकारियों को पीली बत्ती लगाने की पात्रता नहीं है, लेकिन जिले से बाहर जाते समय यह अधिकारी अपनी गाड़ी में पीली बत्ती लगा लेते हैं। पिछले दिनों एक अधिकारी की गाड़ी में लगी पीली बत्ती के बारे में जब जिले के अन्य अधिकारियों को पता चला तो उक्त अधिकारी ने कुछ दिनों से गाड़ी में पीली बत्ती निकाल दी है। एक अधिकारी के वाहन चालक ने बताया कि पीली बत्ती का शौक दो कारण से अधिकारी को है, एक तो टोल टेक्स नाके पर टेक्स बचाया जाता है, वही दूसरी और भीड़ वाले इलाके में जल्दी साईड मिल जाती है।


साथी नाराज

भाजपा जिलाध्यक्ष के चयन में जिले के दोनों विधायकों ने आमसहमति से एक ऐसे नाम पर सामंजस्य बनाया जिसके बारे में कार्यकर्ताओं को उम्मीद कम थी। खिरकिया क्षेत्र के एक नेता का नाम आगे आते देख खिरकिया कई नेता मन ही मन दुखी दिखाई दे रहे थे। हरदा के एक कद्दावर नेता का जिलाध्यक्ष न बनने से हरदा विधायक के कई साथी नाराज हैं। टिमरनी विधायक और हरदा विधायक के साथियों की जिलाध्यक्ष में न चलने की बात बाजार में चर्चा का विषय बन गई है।



जंगल में हो रहा मंगल

हरदा जिले के जंगल में एक अधिकारी मनमर्जी से मंगल कर रहे हैं। शादीशुदा यह अधिकारी टिमरनी विकासखंड के वनग्राम में जाकर मंगल करते रहते हैं।  कुछ लोगों को जब इस बारे में पता चला तो अधिकारी के शुभचिंतकों ने बताया कि साहब ने दूसरी शादी कर ली है। खबर यह भी है कि अभी तक शादी नहीं हुई, लेकिन साहब ने दूसरी शादी करने का आश्वासन देकर उक्त महिला से शारीरिक संबंध बना लिए हैं। पिछले सप्ताह अधिकारी कें जंगल में ज्यादा दौरे होने पर कुछ लोगों ने चुटकी लेकर कहा कि चलो शासन की योजनाओं प्रचार प्रसार अच्छा हो सकेगा। यदि यह अधिकारी उक्त महिला से शादी करते हैं, तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ भी मिल सकेगा।



जिसकी हुई पिटाई, वह विधानसभा पहुँचा
हरदा । जिले में पदस्थ पुलिस विभाग के एक अधिकारी का दावा है कि उन्होनें राजनीति दल के जिस नेता की सार्वजनिक पिटाई की वह विधानसभा पहुँचा है। जानकारी के अनुसार जिले में पदस्थ यह पुलिस अधिकारी इस बात को बड़ी ही दवंगता से कहते हैं कि उन्होंने जिस नेता की सार्वजनिक पिटाई की वह विधायक बना है। बकौल अधिकारी अब तक ऐसे 4 विधायक विधानसभा पहुँच चुके हैं। जिसमें पड़ोसी जिला होशंगाबाद के एक वर्तमान विधायक भी हैं। पिछले दिनों जनपद पंचायत में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान इस अधिकारी ने फिर दावा किया कि हरदा का एक नेता जिसकी पिछले दिनों हुई सार्वजनिक पिटाई के बाद उस नेता के भी विधानसभा पहुँचने का रास्ता साफ हो गया है। पुलिस अधिकारी के इस बयान के बाद राजनीतिक नेताओं में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सुनी जा रही है।
  
कहीं खुशी, कहीं गम

जिले में सम्पन्ना हुए जिला और जनपद पंचायतों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा-कांग्रेस को कहीं खुशी, कहीं गम के माहौल का सामना करना पड़ रहा है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद गंवाने के बाद भाजपा ने जुगाड़ के दम पर उपाध्यक्ष पद हासिल करने में सफलता प्राप्त की। सूत्रों के अनुसार अध्यक्ष पद पर भाजपा के रविशंकर झिंझौरे को बैठाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के एक गुट ने सम्पूर्ण ताकत झोंक दी थी, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। जनचर्चा है कि जिस सदस्य को भाजपा के नेताओं ने पैसे के दम पर अपना वोट बताया था वह पैसे लेने के बाद भावना में बह गया। हांलाकि ईमानदार इस सदस्य ने बाद में पैसा लौटा दिया है। एक डॉक्टर के अध्यक्ष बनने से लोगों को विश्वास है कि जिला पंचायत का उपचार अब ठीक होगा।

सफाई रखो वरना .....
कलेक्टोरेट भवन में लगने वाले सभी दफ्तर प्रमुख अपने आस-पास साफ सफाई रखें। कार्यालय में कहीं भी गंदगी न रहे। जो लोग साफ सफाई नहीं रख सकते वे कलेक्टोरेट से अन्यत्र चले जाएं। कुछ इस तरह के निर्देश और चेतावनी पिछले दिनों कलेक्टर ने विभाग के जिला प्रमुखों को दिए हैं।