विभागीय कर्मचारियों का राशि देने से इंकार
हरदा । सरकार द्वारा दी जाने वाली जननी सुरक्षा एवं प्रोत्साहन राशि पाने के लिए एक महिला अपने 15 दिन के बच्चे को साथ लिए भटक रही है। उधर अस्पताल प्रबंधन नियमों का हवाला देते हुए राशि देने से इंकार कर रहा है।
जानकारी के अनुसार नजरपुरा निवासी भुरी बाई पति सुनील तंवर गर्भावस्था में उपचार के लिए विगत माह आयोजित हुए स्वास्थ्य मेले में आई थी। उस दौरान भूरी बाई को सांस की तकलीफ हो रही थी। मेले में सही उपचार न मिलने पर महिला के परिजनों ने कलेक्टर रेनु पंत को शिकायत की थी। शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने महिला की नाजुक स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन से उसे भोपाल रैफर कराने के निर्देश दिए थे। अस्पताल द्वारा भेजी गई एंबुलेंस से जाते समय उक्त महिला को रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई। पीड़ित महिला के साथ आशा कार्यकर्ता सुधा पारे और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनिता पांडे भी थी। इन कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस दौरान बुदनी के जंगलों में महिला को डिलेवरी भी हो गई। इस बीच रास्ते भर महिला और बच्चे की देखरेख के लिए खासी मशक्कत की गई। औबेदुल्लांगज पहुंचकर वहां सरकारी अस्पताल से डाक्टर को बुलाकर वाहन में ही बच्चे का नला कटवाया गया।
नियमों का हवाला दिया
15 दिन के बच्चे को गोद में लेकर जब महिला जननी सुरक्षा और प्रोत्साहन राशि लेने के लिए आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ सोमवार को अस्पताल पहुंची तो वहां उन्हें राशि देने से मना कर दिया गया। जब राशि के लिए महिला स्वास्थ्य अधिकारी जेएस अवास्या के पास पहुंची तो उन्हांेने भी नियमों का हवाला देकर राशि देने से मना कर दिया गया। महिला और कार्यकर्ता ने जब इस बात की शिकायत कलेक्टर से की गई तो उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
राशि पाने के हकदार नहीं
इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला को सड़क पर डिलेवरी हुई थी। जिसकी सूचना नजदीकी अस्पताल में देकर नाम दर्ज कराया जाना था। इसके बाद ही संबंधित अस्पताल से महिला और कार्यकर्ता जननी सुरक्षा और प्रोत्साहन राशि पाने की हकदार होती है। चूंकि जिला अस्पताल की जच्चा-बच्चा सूची में महिला का नाम दर्ज नहीं है इसलिए इन्हें राशि नहीं दी जा सकती है।
शख्स ने की आर्थिक मदद
मामले को करीबी से देखने वाले रेडक्रास सोसायटी के चेयरमेन राजीव खरे द्वारा महिला और कार्यकर्ताओं की पीड़ा देखकर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर आर्थिक मदद की गई है। उन्होंने सहयोग स्वरुप भुरी बाई को 1 हजार 400 तथा आशा कार्यकर्ता सुधा पारे और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनिता पांडे को 300-300 रुपए दिए है।
इनका कहना
इस मामले में सीएमएचओ को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है।
-रेणु पंत, कलेक्टर हरदा
अस्पताल में नाम दर्ज नहीं होने के कारण वे योजनांतर्गत दी जाने वाली राशि पाने के हकदार नहीं है।
-जेएस अवास्या, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी हरदा
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