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लोमेश कुमार गौर
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Friday, August 26, 2011

ब्राह्मणों के खिलाफ मंत्री गौरीशंकर बिसेन की टिप्पणी

भोपाल। सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन की गुना में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर ब्राह्मणों के खिलाफ की गई एक टिप्पणी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बिसेन से इस मामले में जवाब तलब किया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने भी दो सदस्यीय जांच समिति बना दी है।

60 कट्टों में भरा ‘खजाना’


जयपुर प्राइवेट ट्रैवल्स के कागरे कार्यालय से जब्त किए 1, 2 व 5 रु. के पौने चार हजार किलो सिक्के बुकिंग किसने की, पता नहीं, कानपुर से जयपुर लाकर सिक्कों को अहमदाबाद भेजा जा रहा था सिक्कों को गलाकर ब्लेड बनाने में इस्तेमाल करने की संभावना।

Monday, August 22, 2011

मरने के बाद किस पाप की कौन सी सजा मिलती है?

कहते हैं पापों का फल व्यक्ति या तो दु:ख के रूप में भोगता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में पाप कर्म करता है उनका प्रायश्चित न करने पर उन्हें इस लोक में या यमलोक में भुगतना पड़ता है। कुछ लोग जिसे पाप मानते हैं, दूसरे उसे ही उचित या सही ठहरा देते हैं। जो बात किसी के लिये उसका कर्तव्य और धर्म है वह किसी के लिये घोर पाप या नीच कृत्य हो सकता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जिन कर्मों को पाप माना गया है उसकी सजा उसे अपनी मृत्यु के बाद मिलती है। किस पाप की क्या सजा मिलती है। इसका वर्णन गरूड़ पुराण में कुछ इस प्रकार दिया हुआ है।

Sunday, August 21, 2011

उसके मन में पाप था, दोस्ती कर बनाई अश्लील फिल्म


भोपाल. मैं बीते 14 महीने से घुट-घुटकर जी रही थी, मुझे क्या मालूम था, उसके मन में पाप है? पहले उसने मुझसे दोस्ती की, फिर मुझे घुमाने शहर के बाहर ले गया। यहां उसने मेरी अश्लील फिल्म तैयार कर ली। मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, बाद में वो सीडी सार्वजनिक करने की धमकी देकर मुझसे रुपए मांगने लगा। मैं अपने गहने बेचकर उसे रुपए देती रही।

Thursday, August 18, 2011

लोकपाल और जनलोकपाल विधेयक में क्या अंतर है



लोकपाल को व्यापक शक्तियाँ देने वाले भ्रष्टाचार निरोधक कानून लागू करने की माँग पर आमरण अनशन पर बैठे अण्णा हजारे को चहुँओर से समर्थन मिल रहा है। अण्णा का विरोध सरकारी बिल और जनलोकपाल बिल में व्याप्त असमानताओं पर है, जानिए आखिर क्या है सरकार द्वारा प्रस्तावित और जनलोकपाल विधेयक में मुख्य अंतर -
सरकारी लोकपाल विधेयकजनलोकपाल विधेयक
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर खुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं होगा।प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल खुद किसी भी मामले की जाँच शुरू करने का अधिकार रखता है।
सरकारी विधेयक में लोकपाल केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह जाएगी।जनलोकपाल सशक्त संस्था होगी।
सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस शक्ति नहीं होगी।जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस फोर्स भी होगी।
सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा।जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश सभी आएँगे।
लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे।जनलोकपाल में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा। चार की कानूनी पृष्टभूमि होगी। बाक़ी का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा।
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति। प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता, कानून और गृहमंत्री होंगे।प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे।
सरकारी लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सजा हो सकती है और घोटाले के धन को वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।जनलोकपाल बिल में कम से कम पाँच साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। साथ ही दोषियों से घोटाले के धन की भरपाई का भी प्रावधान 

जनलोकपाल बिल : जो आप जानना चाहते है


भ्रष्टाचार से निपटने का सबसे कारगर रास्ता हो सकता है जन लोकपाल बिल। अन्ना हजारे के अनशन पर बैठने से पहले इसी वर्ष 30 जनवरी को 60 शहरों में लाखों लोग सड़कों पर उतरे थे। आखिर क्या है जन लोकपाल बिल? मौजूदा व्यवस्था क्या है? सरकार ने किस तरह का बिल लाना चाहती है? उस पर क्या है आपत्ति? 
वर्तमान व्यवस्था क्या?

Monday, August 15, 2011

कैसे कहें हम सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा


15 अगस्त पर विशेष
लोमेश कुमार गौर
अगर हम बात करें आजादी की तो हमे 15 अगस्त 1947 को जो आजादी मिली थी, वह उन अंगे्रजों से मिली थी, जिन्होनंे हम पर करीब 100 साल तक शासन किया था, लेकिन अभी भी हमारे देश में कई लोग वास्तविक आजादी के लिए तरस रहे हैं। आज भी देश में जातिगत भेदभाव, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, आरक्षण जैसे मसलों पर चर्चा होती है, तो लगता है कि हकीकत में हम दुनिया से अच्छे नहीं है।