हरदा (हरदावाणी)। जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा जिला पंचायत में बैठकर कभी-कभी उस पल को कोसा जाता है, जब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इन लोगों की पीड़ा यह है कि जिला पंचायत के अधिकारी और कर्मचारी उन्हें शासन की योजनाओं की जानकारी नहीं देते है। जिला पंचायत की पंचायत को कोई नहीं समझ पा रहा है।
एक बार तो जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. यामिनि मानकर, उपाध्यक्ष मुकेश पटेल सहित अन्य सदस्यों ने इस्तीफा देने की धमकी भी दी थी, लेकिन इसके बाद भी उन्हें लगा की कोई फर्क नहीं पड़ा। अंतत: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों ने निर्णय लिया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि संघर्ष करेंगे। उनका कहना था कि हारकर घर बैठना न्यायसंगत नहीं है। राजनीतिक सूत्रों की माने तो यह घटनाक्रम राजनीति नेताओं की देन है। जिले में जनचर्चा है कि जिला पंचायत में सभी सभ्य लोग है, तो फिर क्या कारण हो सकता है? ऐसा भी नहीं कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य और सीईओ का व्यवहार ठीक नहीं है। यह बात सभी की समझ से परे है।
जिला पंचायत की कुछ महिला सदस्यों का आरोप था कि अधिकारी बैठक में अपनी-अपनी बात रखकर बैठक समाप्त कर देते हैं। इसी प्रकार अध्यक्ष का आरोप है कि जिला पंचायत के सीईओ द्वारा कहा जाता है कि वह सिर्फ बैठक की अध्यक्षता करें। उधर सीईओ मदन कुमार का कहना है कि वह कब तक सहन करें। हर बार कुछ न कुछ आरोप लगते ही रहते है।
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