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Monday, December 14, 2009

अमिट धरोहर की तरह शहीद गैलरी

हरदा। जीवन में कई क्षण ऐसे आते है जो हमे सदकर्मो की प्रेरणा दे जाते हैं और हमारी स्मृतियों मे अमिट धरोहर की तरह अंकित हो जाते हैं। स्मृतिया की यह धरोहर यदि भौतिक रूप से आकार ग्रहण करती है, तो समाज में अनुपम-उदाहरण बन जाती है। हरदा नगरपालिका द्वारा निर्मित शहीद दीपसिंह चौहान शहीद एवं कला वीथिका ऐसे ही बिरले उदाहरणों में से एक है।

हरदा नगर के युवा मूर्तिकार रामकृष्ण बघेले द्वारा अपने पिता घासीराम बघेले को समर्पित शहीद स्मृति प्रदर्शनी अपने पिता और गुरू घासीरामजी बघेले को श्रृद्धाजंली और कृतज्ञता का मिलाजुला प्रयास थी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कर्तव्य की बलिवेदी पर शहीद हो गये क्रांतिकारियों को केन्द्र में रखकर लगाई गई इस मूर्ति-शिल्प प्रदर्शनी को देखकर तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र जैन अभिभूत हो गये और उन्होंने इस कार्य को स्थायित्व प्रदान करने का संकल्प लिया। बाद में एक कार्ययोजना बनाकर इसे निर्मित कराया। इस गैलरी में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम क्रांतिकारी वीरवर मंगलपांडे से लेकर भुआणा और हरदा की माटी के शहीद दीपसिंह चौहान तक, जो आंतकवादियों से संघर्ष करते हुए थाम्बोल (मणिपुर) के सुगनू मार्केट में शहीद हो गये थे। जिनके नाम पर यह शहीद वीथिका समर्पित है। इसमें 27 क्रांतिकारियों की आकर्षक प्रतिमाएं व उनके जीवन वृत्त प्रदर्शित किये गये हैं। ताकि हम उनसे परिचित होकर प्रेरणा ले सकें।
इन क्रांतिकारीयों में अमर शहीद मंगल पांडे, तात्याटोपे, नाना साहब, बहादुरशाह जफर, कुंवरसिंह, वासुदेव बलवंत फड़के, वीरांगना लक्ष्मीबाई, मौलाना बरकतुल्ला भोपाली, वीर सावरकर, खुदीराम बोस, नदनलाल धीगरा, रामप्रसाद बिस्मिल, नेडन वीकाजी काना, अशफाकउल्ला खां, सरदार उधमसिंह, सुनीति घोष, वीणादास, भगतसिंह, पंजाबकेसरी लालालाजपतराय, अमरशहीद सुखदेव, लोकमान्य तिलक, राजगुरू चन्द्रशेखर आजाद, दुर्गाभाभी, अवंतीबाई लोधी, सुभाषचन्द्र बोस एवं दीपसिंह चौहान सम्मिलित हैं। पूरे प्रदेश में अपने ढंग की यह अनूठी गैलरी कला और कृतज्ञता का दुर्लभ संयोग हैं। शहीदों के कवि श्रीकृष्णजी सरल के, शहीदो के प्रति ये भाव सुमन, इस पुनीत कार्य की परिकल्पना के मूल में हैं।

है अमर शहीदों की पूजा, हर एक राष्ट्र की परंपरा।

उनसे है मां की कोख धन्य, उनको पाकर है धन्य धारा।

गिरता है उनका रक्त जहां, वे ठोर तीर्थ कहलाते है।

वे रक्त बीज अपने जैसों की नई फसल दे जाते हैं।

है इसलिए राष्ट्र कर्तव्य, शहीदों का समुचित सम्मान करें।

मस्तक देने वाली जमात पर, युग युग वह अभिमान करें।

शहीदों की बलिदानी विरासत से भरी नगरपालिका की इस स्थायी शहीद एवं कला गैलरी की सराहना जिन लोंगों ने की है उनमें पूर्व राज्यपाल डां.बलराम जाखड़, पूर्व मंत्री चौध्ारी चंद्रभानसिंह, हरनामिंसंह राठौर, म.प्र.हाईकोर्ट के जस्टिस अभय नाईक, प्रसिद्ध कवि जगदीश सोंलकी, स्व.लाड़सिंह गुर्जर, प्रसिद्ध हास्य कलाकार अहसान कुरैशी, प्रो.महेशदत्त मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, बाबूलाल गौर , मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्व.लक्ष्मणसिंह गौड, स्वामी परमानंदजी महाराज, डा.पुखराज मारू, प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी व मदनमोहन जोशी, लोकसंस्कृति मर्मज्ञ डा.कपिल तिवारी व इतिहासकार डा.सुरेश मिश्र प्रमुख हैं।

हरदा नगरपालिका का यह विशेष कार्य अपने आप में अद्वितीय है,और हरदा आने वाले व्यक्ति को सहसा ही अपने विशिष्ट कलात्मक सौन्दर्य से सहज ही आकर्षित कर लेता है।


ज्ञानेश चौबे, हरदा