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Friday, September 11, 2009

जंजीरों में कैद जिंदगी

आठ वर्षों से जंजीरों में कैद है एक युवक
हरदा। जिले के ग्राम दूधकच्छ में पिछले आठ वर्षों से एक युवक जंजीरों में कैद रहता है। परिवारों के लोग इस युवक को मानसिक रूप से विक्षिप्त बता रहे हैं। इस परिवार में कुल नौ लोग रहते हैं, जिनमें से पाँच लोग विकलांग हैं।

जानकारी के अनुसार समीपस्थ ग्राम दूधकच्छ में एक युवक कोदर पिता गेंदालाल ढोके पिछले आठ वर्षों से जंजीरों में कैद रहता है। मानसिक रूप से विक्षिप्त होने के कारण परिवार के लोग उसे बांधकर रखना अपनी मजबूरी बताते हैं। परिवार के मुखिया गेंदालाल ढोके का कहना है कि उनके पुत्र कोदर ने विकलांग होने के बावजूद हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई पूर्ण कर ली है। लेकिन उसके बाद से वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया। युवक की मां कमलाबाई का कहना है कि पहले तो अपने पुत्र के विकलांग होने से वह दुखी थी। लेकिन उसके बाद उसका मानसिक रूप से संतुलन बिगड़ने से वह और अधिक दुखी हैं। परिवार के सदस्य कहते हैं कि यदि कोदर को बांधकर नहीं रखें तो वह पड़ोसियों को परेशान करता है, साथ ही घर का सामान बाहर फेंक देता है। इसके अलावा कई मर्तबा गाँव में स्थित कुओं की पाल पर जाकर बैठ जाता है।

नौ में से पाँच विकलांग

इस परिवार में कुल नौ सदस्य हैं। जिनमें पाँच सदस्य विकलांग हैं। परिवार के मुखिया गेंदालाल के अनुसार जो विकलांग हैं, उनमें कैलाश(४०), विजय(३२), कोदर(२८), रामचंद्र(२०), क्षमा ढोके शामिल हैं। श्री ढोके के अनुसार जन्म के चार पाँच वर्ष तक सभी पुत्र ठीक रहते थे। लेकिन धीरे-धीरे उनमें विकलांगता के लक्षण आने लगे। वर्तमान में चारों पुत्र विकलांग हो चुके हैं। दूसरे पुत्र विजय वर्तमान में ग्राम की ही शाला में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत हैं। शिक्षक श्री विजय ढोके ने बताया कि उनके माता-पिता वृद्ध हो चुके हैं। ऐसे में परिवार के पालन पोषण का दायित्व उन पर है। उनका मानना है कि विकलांगता का उपचार होना अब असंभव है, लेकिन शासन यदि आर्थिक रूप से मदद करे तो वह अपने भाईयों से व्यापार, व्यवसाय करवा सकते हैं।

शिक्षा के प्रति लगाव

वृद्ध माता-पिता भले ही पढ़ न पाए हों, लेकिन अपने भाईयों को पढ़ाने के लिए शिक्षक विजय ढोके प्रयासरत्‌ है। स्वयं बी.ए. द्वितीय वर्ष तक की पढ़ाई करके नौकरी में लग गए हैं। और छोटे भाई रामचंद्र(विकलांग) बी.ए. द्वितीय वर्ष तथा नानकराम बी.ए. प्रथम वर्ष को पढ़ाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। अपनी बिटिया दीक्षा का भी स्कूल में दाखिला करा दिया है।

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