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Sunday, January 22, 2012

पूरी सफलता हासिल करें

थोड़ा अजीब सा लगता है ना आधी सफलता प्राप्त करना। सफलता क्या आधी हो सकती है? कुछ लोग मानते है कि पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं तो क्या हुआ हमने सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत की और प्रयास किया। वहां तक नहीं पहुंच पाएं तो क्या हुआ? दरअसल यह अलग तरह की मानसिकता है जो कई युवाओं में भी देखने में आती है। वे सफलता के प्रयास करते हैं और मन से करते हैं पर इतना ही करते हैं जितना सफलता प्राप्ति के लिए जरूरत होती है। 

फिर उन्हें सफलता मिल ही जाना चाहिए आपके मन में यह प्रश्न आना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसा नहीं होता सफलता प्राप्त करने के लिए अगर औसतन 100 प्रतिशत मेहनत करना पड़ती है। आपका लक्ष्य 150 प्रतिशत होना जरूरी है ताकि आप 100 प्रतिशत पूर्ण सफलता प्राप्त करें। 
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते समय अक्सर युवा यह गलती कर जाते हैं कि जितना जरूरी है उतना ही पढ़ते हैं पर जब परीक्षा देने की बारी आती है तब वे अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पाते बल्कि 60 से 70 प्रतिशत तक ही दे पाते हैं। परिणाम आने के बाद वे यह जरूर कहते हैं कि चलो 70 प्रतिशत तो आए हैं अगली बार के लिए थोड़ी ही मेहनत करना है, लेकिन यह मानसिकता क्यों नहीं आ पाती कि पहली बार में ही जोरदार मेहनत की जाए और अपना 150 प्रतिशत दे तब जाकर 100 प्रतिशत सफलता हासिल होगी। 
हम प्रवेश परीक्षा पास कर गए बस इंटरव्यू में रह गए पर परीक्षा तो पास की ना... इस प्रकार के उत्तर युवाओं के पास आम होते हैं। वे अपने आप को आधा सफल मानकर ही पूर्ण सफलता का जश्न भी मना लेते हैं। पर इस बात कर गौर नहीं करते कि आखिर आधी सफलता ही क्यों मिली और क्या आधी सफलता पूर्ण सफलता है या पूर्ण असफलता है। 
एक युवा साथी थे। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा के लिए अपनी ओर से पूर्ण मेहनत की और प्रवेश परीक्षा पास हो गए पर बाद में आगे नहीं बढ़ पाएं। पर महज प्रवेश परीक्षा पास करने के कारण की कई हमउम्र युवा साथी उनके पास मार्गदर्शन के लिए आए। वे भी मार्गदर्शन देने लगे और इस ओर उनका ध्यान ही नहीं गया कि उन्हें स्वयं भी आगे बढ़ना है और सफलता का अंतिम पड़ाव पार करना है।
इसका परिणाम यह हुआ कि वे वहीं के वहीं रहे और बाकी लोग आगे निकल गए। जिंदगी में सफलता कितनी, कैसी और कब हो इसका कोई पैमाना तो नहीं होता...आपको स्वयं ही तय करना होता है कि कितनी सफलता आपको प्राप्त करना है और कितना आगे आपको बढ़ना है। कई बार इसमें व्यक्ति स्वयं को कम आंकता है तो कई बार ज्यादा पर सबसे ज्यादा समस्या उनकी होती है जो दुविधा में रहते हैं जो आधी सफलता को भी पूर्ण सफलता मानकर जिंदगी के साथ समझौता कर लेते हैं।
ऐसे लोगों को स्वयं ही जागना होगा और अपने आधे-अधूरे पड़े लक्ष्य की ओर पुनः बढ़ने के लिए स्वयं में हिम्मत जुटानी होगी तभी पुनः बात बन पाएगी। थोड़ी सी सफलता प्राप्त करने के बाद ही आपके आसपास के लोग आपको इतना चढ़ा देंगे कि आपको लगेगा कि आपने जो किया है वह महान कार्य है। 
अगर आप ने सही में ऐसा मान लिया तब आप अपनी मंजिल को भूलकर आत्ममुग्धता की अवस्था में आ जाएंगे और असल लक्ष्य की ओर आपका ध्यान नहीं जाएगा। इस कारण दोस्तों जब भी सफलता मिले चाहे छोटी हो या बड़ी अपने आप से यह प्रश्न जरूर पूछें कि क्या यही पूर्ण सफलता है या मंजिल अभी दूर है?

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